कंकड चुनचुन

कंकड चुनचुन महल उठाया 
        लोग कहें घर मेरा। 
ना घर मेरा ना घर तेरा 
        चिड़िया रैन बसेरा है॥
जग में राम भजा सो जीता ।
        कब सेवरी कासी को धाई 
कब पढ़ि आई गीता । 
        जूठे फल सेवरी के खाये  
तनिक लाज नहिं कीता ॥

Comments

Popular posts from this blog

हाथी क्यों हारा

Apps Policy

chubby snowman