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Showing posts from August, 2018

सत्तावन का युद्ध

सत्तावन का युद्ध खून से लिखी गई कहानी थी  वृद्ध युवा महिलाओं तक में आई नई जवानी थी आज़ादी के परवानों ने मर मिटने की ठानी थी ! क्रांति संदेशे बाँट रहे थे छदम वेश में वीर -जवान नीचे सब बारूद बिछी थी ऊपर हरा भरा उद्यान  मई अंत में क्रांतिवीर को भूस में आग लगानी थी ! मंगल पांडे की बलि ने संयम का प्याला तोड़ दिया जगह-जगह चिंगारी फूटी तोपों का मुँह मोड़ दिया कलकत्ता से अंबाला तक फूटी नई जवानी थी ! मेरठ कानपुर में तांडव धू-धू जले फिरंगी घर नर-मुंडों से पटे रास्ते  गूँजे 'जय भारत' के स्वर दिल्ली को लेने की अब इन रणवीरों ने ठानी थी ! तलवारों ने तोपें छीनी प्यादों ने घोड़ों की रास नंगे-भूखे भगे फिरंगी जंगल में छिपने की आस झाँसी में रणचंडी ने भी  अपनी भृकुटी तानी थी ! काशी इलाहाबाद अयोध्या में रनभेरी गूँजी थी फर्रूखाबाद, इटावा तक में यह चिंगारी फूटी थी गंगा-यमुना लाल हो गई इतनी क्रुद्ध भवानी थी ! आज़ादी की जली मशालें नगर, गाँव, गलियारों में कलकत्ता से कानपुर तक गोली चली बाज़ारों में तांत्या, बाजीराव, कुंवर की धाक शत्रु ने मानी थी !

chubby snowman

There was a chubby snowman And he had a carrot nose (put fist to nose like carrot) Along came a bunny (2 fingers up for ears) And what do you suppose (hands on hips) The hungry little bunny (rub tummy) Was looking for his lunch (hand to forehead, looking) He grabbed that snowman's carrot nose NIBBLE!  NIBBLE!  CRUNCH!! (Pretend to eat carrot)

कंकड चुनचुन

कंकड चुनचुन महल उठाया          लोग कहें घर मेरा।  ना घर मेरा ना घर तेरा          चिड़िया रैन बसेरा है॥ जग में राम भजा सो जीता ।         कब सेवरी कासी को धाई  कब पढ़ि आई गीता ।          जूठे फल सेवरी के खाये   तनिक लाज नहिं कीता ॥

मेरे उर में जो निहित व्यथा

मेरे उर में जो निहित व्यथा  कविता तो उसकी एक कथा छंदों में रो-गाकर ही मैं, क्षण-भर को कुछ सुख पा जाता मैं सूने में मन बहलाता। मिटने का है अधिकार मुझे है स्मृतियों से ही प्यार मुझे उनके ही बल पर मैं अपने, खोए प्रीतम को पा जाता मैं सूने में मन बहलाता। कहता क्या हूँ, कुछ होश नहीं  मुझको केवल संतोष यही  मेरे गायन-रोदन में जग, निज सुख-दुख की छाया पाता  मैं सूने में मन बहलाता।

When the warm sun

When the warm sun, that brings Seed-time and harvest, has returned again, 'T is sweet to visit the still wood, where springs     The first flower of the plain.     I love the season well, When forest glades are teeming with bright forms, Nor dark and many-folded clouds foretell     The coming-on of storms.     From the earth's loosened mould The sapling draws its sustenance, and thrives; Though stricken to the heart with winter's cold,     The drooping tree revives.     The softly-warbled song Comes from the pleasant woods, and colored wings Glance quick in the bright sun, that moves along     The forest openings.

बड़ी नाज़ुक है डोरी

बड़ी नाज़ुक है डोरी साँस की यह   कहीं टूटी तो बाकी क्या रहेगा रखो तुम बंद चाहे अपनी घड़ियां  समय तो रात दिन चलता रहेगा न जाने क्यों हमें यह लग रहा है  हमारे बाद सन्नाटा रहेगा वृथा है आज, कल की फिक्र 'राणा'  जो कुछ होना है वह होता रहेगा

Baby Jesus, Baby Jesus,

Baby Jesus, Baby Jesus, please don't cry, please don't cry. Don't you know we love you, Don't you know we love you, Yes we do, yes we do. Baby Jesus, Baby Jesus, Look who's here, look who's here. A shepherd come to praise you, a shepherd come to praise you, With his lamb, with his lamb.  Baby Jesus, Baby Jesus Look who's here, look who's here A King with lots of presents, a King with lots of presents Just for you, just for you

आदमी से अच्छा है.

भेड़िए के चंगुल में फंसे मेमने  ने कहा-- 'मुझ मासूम को खाने वाले हिम्मत है तो आदमी को खा!' भेड़िया बोला-- 'अबे! तूने मुझे उल्लू का पट्ठा समझ रखा है क्या? मैं जैसा हूँ, ठीक हूँ ज्यादा क्रूर नहीं बनना चाहूँगा मैं आदमी को खाऊँगा तो आदमी ना बन जाऊँगा? बेटा! तू अभी बच्चा है, अक़्ल का कच्चा है! अरे! भेड़िया ही तो आजकल आदमी से अच्छा है....!'