लालच का फल

किसी गांव में एक किसान रहता था. रात-दिन मेहनत कर वह खुब पैसा कमाना चाहता था लेकिन था लालची व कंजूस इसलिए खर्च कुछ भी नहीं करता था, जब भी उसका मांसाहार खाने का मन करता वह जंगल से कोई जीव मार लाता और पका कर खा लेता.
एक दिन वह जंगल से एक सुनहरी मूर्गी को पकड़ कर घर ले आया. उसकी पत्नी मूर्गी देखकर बेहद खुश हुई क्योंकि पति की तरह ही वह भी लालची थी. वह तुरन्त ही चाकू लेकर मूर्गी को हलाल करने बैठ गई. इससे पहले की वह मूर्गी की गर्दन पर चाकू चला पाती मूर्गी ने कहा – मुझे मत मारो मैं तुम्हें मालामाल कर दूंगी. मूर्गी को इंसानी भाषा में बोलते देखकर किसान की पत्नी डर गई और उसने चिल्लाकर अपने पति को बुलाया. सुनो जी,, यह तो कोई मायावी मुर्गी हैं, यह तो हमारी तरह बोलती है, क्या कहा भगवान ? किसान चोंक पडा, मनुष्य की तरह बोलती है ? हां यह कहती हैं कि “हमें मालामाल कर देगी”. ला मैं इसे काटू शायद यह अपनी जान बचाने के लिए ऐसा कर रही है.
जैसे ही किसान मुर्गी को काटने चला वैसे ही मुर्गी ने फिर से कहा – अरे ओ मूर्ख किसान! मेरी बात सुन मूर्गी ने हिम्मत बटोर कर कहा – मेरी जान बक्श दें मैं तुझे मालामाल कर दूंगी. यह सुनकर किसान बोला – अच्छा भला तु मुझे मालामाल कैसे करेगी ? तू क्या मुझे मूर्ख समझती हैं ? “किसान को मुर्गी की बात सुनकर लालच आ गया था”
तब मूर्गी बोली – मैं रोजाना तुझे एक सोने का अंडा दूंगी, सोने का अंडा मुर्गी की बात सुनकर किसान के मूंह में पानी आ गया. उसने अपनी पत्नी की तरफ देखा. क्या पता यह मूर्गी सच कह रही हो एक बार आजमाने मे हर्ज ही क्या है ? अगर बात झुठ निकली तो हलाल तो इसे हम कल भी कर सकते हैं.
किसान को पत्नी की बात जंच गई. उसने मूर्गी को एक बढिया दडबे में रखा और अच्छा दाना पानी किया. दूसरे दिन पति-पत्नी ने जैसे ही मूर्गी का दडबा खोला तो यह देखकर उन्हें आश्चर्य हुआ कि दडबे में सोने का एक अंडा पडा था.
किसान ने उसे लपक लिया, फिर तो रोज ही ऐसा होने लगा, मूर्गी रोज एक सोने का अंडा देती. कुछ ही दिनों में किसान मालामाल हो गया उसने कच्चे मकान की जगह पककी हवेली बनवा ली, खेतों की देखभाल के लिए नोकर – चाकर रख लिए, कहीं आने-जाने के लिए एक घोडा-बग्गी खरीद ली
मगर इतना सब होने पर भी किसान की तृष्णा नहीं मिटी वह चाहता था कि उसके पास और अधिक धन हो क्योंकि वह अभी गांव के जमींदार के बराबर अमीर नहीं हुआ था. जैसे-जैसे वह अमीर होता जा रहा था उसका लालच भी बडता ही जा रहा था.
कभी-कभी वह सोचता कि काश उसकी सुनहरी मूर्गी दो अंडे रोज दे तो वह जल्दी मालामाल हो जायेगा. एक बार उसने सोचा कि शायद मूर्गी के पेट में अंडे ही अंडे भरे पडे हैं मगर यह दुष्ट मूर्गी मुझे केवल एक ही अंडा देती हैं अगर मैं इसका पेट फाडकर सारे अंडे एक साथ निकाल लू तो क्या बुराई है.
ऐसा सोचकर उस लालची किसान ने एक छुूरी उठाई और जाकर मुर्गी को पकड लिया मुर्गी बहुत गिडगिडाई और उसे समझाया कि किसान तुम ज्यादा लालच मत करो अगर लालच में आकर मुझे मार दोगे तो एक अंडे से भी हाथ धो बैठोगे.
मगर किसान का तो खयाल था कि मूर्गी उसे बेवकफूफ बना रही हैं इसलिए उसने उसकी एक नहीं सुनी और उसका पेट फाड दिया. मूर्गी मर गई और एक भी अंडा नहीं निकला अब तो किसान हाथ मलता रह गया.
Hindi moral story lesson – लालच करने से इंसान की जिंदगी लूट जाती है, और बहुत से लोगों की लूटी भी है. लालच और तृष्णा दोनों ही ऐसी चीजें है जिनका कोई अंत नहीं लेकिन! इनको पूरा करते-करते इंसान का जरूर अंत हो जाता हैं. इसलिए हमेशा लालच से बचो, और अपनी बुद्धि से काम लो.

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